Saturday, May 31, 2014



शेरे हिन्द हिन्दुस्तान गौरव शेर सिहं राणा...
शेर सिहं राणा का जीवन परिचय इस लिंक पर देखे-http://en.m.wikipedia.org/wiki/Sher_Singh_Rana
शेर सिह राणा वह महान व्यक्ति है जो महाराजा पृथ्वीराज चौहान की अस्थियो को अफगानिस्तान से भारत लाया ओर उनका एक पुत्र के समान गंगा मे प्रवाहित कर कानपुर मे उनका समाधि स्थल बनवाया।
इतिहास अनुसार पृथ्वीराज चौहान ओर मोहम्मद गौरी मे तराईन का द्वितीय युध्द हुआ जिसमे छल ओर कपट से गौरी ने पृथ्वीराज को बंदी बनाकर गजनी ले गया ओर वहा उनको अंधाकर शारिरीक मानसिक यात्नाए देने लगा फिर दिल्ली से चंदबरदाई ने जाकर पृथ्वीराज की मदद की ओर गोरी को मार गिरवाया ओर स्वंय आपस मे एक दूसरे को मार गिया..
इस कथन को कुछ भारतीय इतिहासकारो जो कि सैकुलर थे या फिर नेहरू प्रजाति के थे उनहोने इस कथन को झूठ कहा ओर लोगो को भ्रम मे डालने लगे कि पृथ्वीराज तो गौरी से युध्द मे रण भूमि मे ही खत्म हो गए थे..इस तरह इतिहासकारो ने इस रहस्य को पहेली बना दिया..
(गजनी: यह महाराजा गजसिहं के द्वारा बसाया गया था इसलिए इसे गजनी कहते है,उनहे गौरी ने मार दिया ओर स्वयं गजनी का सुलतान बन गया)
लेकिन जब इन्डियन एयर लाईन को काठमांडू से हाईजैक कर आतंकियो द्वारा अफगान ले जाया गया तब उस विमान मे उपस्थित एक पत्रकार ने इस बात का खुलासा किया कि गजनी मे पृथ्वीराज,चन्द्र बरदाई ओर गौरी की कब्र बनी है ओर पृथ्वीराज की उस कब्र का अपमान किया जाता है..
पृथवीराज की अस्थियो का अपमान वहा का मुस्लिम समुदाय उन अस्थियो पर जूते मारता है ओर कभी कभी गौ बलि भी देते है..
फिर वे लोग गौरी की कब्र पर जा कर उसे चूमते है ओर अपना सिर झूकाते है..
पृथ्वीराज के अस्थि स्थल पर अरबी मे लिखा है कि सुलतान चौहान जिसने हमारे सुलतान गौरी को धोखे से मारा..इस खबर के बाद क्षत्रिय महासभा ने कई जगह धरने प्रदर्शन किए कि पृथ्वीराज की अस्थियो को भारत लाया जाए लेकिन सरकार इसमे सफल नही हुई या फिर सरकार ने कोई प्रयास ही नही किया..लेकिन तिहाड जैल मे बंद शेर सिहं राणा ने यह करने की ठानी वे 2004 मे तिहाड जैल से भागने मे सफल हुए ओर झारखंड जाकर संजय गुप्ता नाम से अपना फर्जी पहचान पत्र बनवाया..वहा से वे बांगलादेश चले गए..दिसंबर 2004 मे उनहोने मुबई से अफगानिस्तान का बीजा बनवाया चुकि उस समय दिल्ली से अफगान जाना आसान नही था तो वे दुबई से अफगानिस्तान पहुचे..वहा वे कठिन परिश्रम कर पृथ्वीराज चौहान की अस्थियो को मार्च 2005 मे सफलता पूर्वक भारत ले आए..
हमने ऊपर जो चित्र लगाए है वे शेर सिहं राणा द्वारा बहुत सावधानीपूर्वक ओर सूझबूझ से लिए गए है क्युकि पृथ्वीराज चौहान की अस्थि सथल के आसपास के सारे घर तालिबानो के है जिनमे प्रत्येक घर मे 50 हथियार तो होगे ही..ऐसे मे वहा जाना किसी हिन्दु के लिए मौत के मुह मे जाने जैसा है....
शेर सिहं राणा ने इस कार्य को बडी सूझबूझ के साथ पूरा किया है वे वास्तव मे पृथ्वीराज के पुत्र थे...
राजपुत गौरव शेर सिहं राणा की जय..

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