Saturday, May 31, 2014





हिन्दु नगरी था फतेहपुर सीकरी
उत्तर भारत मे आगरा के दक्षिण पश्चिम मे 23 मील की दूरी पर स्थित है फतेहपुर सीकरी।आमतौर पर बच्चो को पढाया जाता है कि फतेहपुर सीकरी का निर्माण 1556 से 1605 ई. मे अकबर ने करवाया था जो कि सरासर झुठ ओर मनगणत बाते है।
असल मे फतेहपुर सीकरी अकबर के जन्म से भी पहले की थी।जिसे बाबर ने राणा सांगा से हडप लिया था।
england के विक्टोरिया ओर अल्ब्रट पुस्तकालय मे एक फोटो(चित्राकृति)है,जिसमे अकबर का बाप हुमायु फतेहपुर साकरी के एक किले मे बेठा है।उस समय तो अकबर का जन्म भी नही हुआ था,तो नगर बसाने का सवाल ही नही उठता।
1 फतेहपुर सीकरी मे 9 द्वार है जिनके नाम इस तरह है-लाल द्वार,आगरा द्वार,बोरपोत द्वार,चन्द्रपोल द्वार,टेहरी द्वार,ग्वालियर द्वार,चोर द्वार व अजमेरी द्वार।
इसके अलावा अन्य दो द्वार-फूलद्वार ओर मथूरा द्वार है।
इन सब द्वारो मे से कोई भी नाम ईस्लामिक नही है।
पोलद्वार मे पोल शब्द संस्कृत का अपभ्रंश है।जो कि परम्परागत हिन्दु किलो से जुडा है।
इसी तरह लाल द्वार पवित्र हिन्दु भगवा रंग को दर्शाता है,जबकि कोई मुस्लिम लाल नाम से कोई निर्माण ना कराता।यदि अकबर इनहे बनवाता तो अरबी नाम रखवाता ना कि हिन्दु।
फतेहपुर सीकरी मे अनेक मुस्लिम शिलालेख है लेकिन किसी मे अकबर द्वारा सीकरी का निर्माण करवाना नही वताया है।यहा एक सलीम चिश्ति का मकबरा है जो कि एक मन्दिर था जिसे तोडकर सलीम चिश्ती का मकबरा बना दिया,ज्यादातर ईस्लामिक सुफी हिन्दु मन्दिरो मे ही दफनाए है ताकि हिन्दुओ के धर्म स्थलो पर कब्जा किया जा सके।जैसे साई ने भी मरने के बाद एक मन्दिर मे दफन होने की इच्छा की थी,जबकि सारी जिन्दगी मस्जिद मे रहा।
इस नगर मे एक स्तम्भ है जिसका आकार अष्टकोणिय है जो कि पवित्र हिन्दु संरचना है,इसका एक ईस्लामी बादशाह क्यो बनवाएगा।
इसी नगर मे एक अनूप तालाब है।जिसकी खुदाई से पता चला है कि इस मे कुछ हिन्दु मुर्तिया ओर पवित्र चिन्ह एक कच्चे फर्श से छिपाये गये थे।अनुप तालाब के समीप विशाल रक्त प्रांगण है जिसमे एक प्रस्तरीय प्रागंण पर पुरातन हिन्दु खेल चोपड का चित्र है।
इसी प्रांगण मे एक हिन्दु ज्योतिष पीटिका है।
इसी नगर मे एक जल घडी पात्र मिला है जिसका उपयाग भारतीय ज्योतिष नक्षत्र,मुहुर्त देखने मे करते थे।आर्यभटीय ओर भास्कराचार्य के ग्रंथो मे इस घडी का उल्लेख है।
ख्वावगाह के उत्तरी प्राचीर मे एर जीर्ञ शीर्ण नोका का चित्र है जो कि भगवान राम द्वारा केवट की नाव मे सीता ,लक्ष्मण सहित गंगा पार करने का है।
सुनहरी महल नामक एक भवन के बरामदे के उत्तरी पश्चिमी खम्भे पर अधुरी अधुरी कृष्ण जी की आकृति है।
ख्वावगाह के ऊपर एक खिडकी है जिस पर एक चित्र है जो गोतमबुध्द सा है।
इसी नगर के एक स्नानगृह के पास स्वस्तिक का चिन्ह है जो प्राचीन वैदिक कालीन हिन्दु रचना है।
फतेहपुर के हाथी द्वार मे भी हिन्दुमूलक हाथी की प्रतिमा है इस तरह की शैली राजपुतो की थी।उदयपुर का सहेलियो का बाग,भरतपुर के किले के फाटक व अन्य गढो मे एसा देखा जा सकता है।दोलत खाने के आगरा की दिशा की तरफ एक छोटी मस्जिद है,जिसके सम्मुख एक गुम्बद युक्त मण्डल है जिसकी खुदाई मे एक दिग्गंबर जैन मुर्ति प्राप्त हुई।
फतेहपुर सीकरी के पास एक डाकघर के समीप खुदी हुई सुरंग मे एक बुध्द का प्रस्तर मिला ।
उपरोक्त प्रमाणो से सिध्द होता है कि अकबर ने सीकरी को नही बसाया था।ये मुस्लिमो द्वारा हिन्दुओ से हडपा गया था।
कोई भी मुस्लिम शासक ने इस देश मे कोई भी निर्माण नही करवाया बल्की पुरातन हिन्दु जेन बुध्द मंदिरो को नष्ट भ्रस्ट कर अपना आधिपतय किया था।
वन्दे मातरम।

No comments:

Post a Comment