Friday, June 20, 2014



कौन कहता है कि अकबर महान था ?
श्री पुरुषोत्तम नागेश ओक, (२ मार्च,१९१७-७ दिसंबर,२००७), जिन्हें लघुनाम श्री.पी.एन.
ओक के नाम से जाना जाता है,द्वारा रचित पुस्तक "कौन कहता है कि अकबर महान था?"
में अकबर के सन्दर्भ में ऐतिहासिक सत्य को उद्घाटित करते हुए कुछ तथ्य सामने रखे हैं
जो वास्तव में विचारणीय हैं.....
अकबर को अकबर-ऐ-आज़म (अर्थात अकबर महान) के नाम से भी जाना जाता है।
जलालउद्दीन मोहम्मद अकबर मुगल वंश का तीसरा शासक था।
सम्राट अकबर मुगल साम्राज्य के संस्थापक जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर का पोता और
नासिरुद्दीन हुमायूं और हमीदा बानो का पुत्र था।
बाबर का वंश तैमूर से था, अर्थात उसके वंशज तैमूर लंग के खानदान से थे और
मातृपक्ष का संबंध चंगेज खां से था।
इस प्रकार अकबर की नसों में एशिया की दो प्रसिद्ध आतंकी जातियों, तुर्क और मंगोल
के रक्त का सम्मिश्रण था।
बाबर के शासनकाल के बाद हुमायूं दस वर्ष तक भी शासन नहीं कर पाया और उसे
अफगान के शेरशाह सूरी से पराजित होकर भागना पड़ा।
अपने परिवार और सहयोगियों के साथ वह सिन्ध की ओर गया, जहां उसने सिंधु
नदी के तट पर भक्कर के पास रोहरी नामक स्थान पर पांव जमाने चाहे।
रोहरी से कुछ दूर पतर नामक स्थान था, जहां उसके भाई हिन्दाल का शिविर था।
कुछ दिन के लिए हुमायूं वहां भी रुका।
वहीं मीर बाबा दोस्त उर्फ अलीअकबर जामी नामक एक ईरानी की चौदह वर्षीय
सुंदर कन्या हमीदाबानों उसके मन को भा गई जिससे उसने विवाह करने की इच्छा
जाहिर की।
अतः हिन्दाल की मां दिलावर बेगम के प्रयास से १४ अगस्त, १५४१ को हुमायूं और
हमीदाबानो का विवाह हो गया।
कुछ दिन बाद अपने साथियों एवं गर्भवती पत्नी हमीदा को लेकर हुमायूं २३ अगस्त,
१५४२ को अमरकोट के राजा बीरसाल के राज्य में पहुंचा।
हालांकि हुमायूं अपना राजपाट गवां चुका था, मगर फिर भी राजपूतों की विशेषता के
अनुसार बीरसाल ने उसका समुचित आतिथ्य किया। अमरकोट में ही १५ अक्टूबर,
१५४२ को हमीदा बेगम ने अकबर को जन्म दिया।
अकबर का जन्म पूर्णिमा के दिन हुआ था इसलिए उनका नाम बदरुद्दीन मोहम्मद
अकबर रखा गया था।
बद्र का अर्थ होता है पूर्ण चंद्रमा और अकबर उनके नाना शेख अली अकबर जामी
के नाम से लिया गया था।
कहा जाताहै कि काबुल पर विजय मिलने के बाद उनके पिता हुमायूँ ने बुरी नज़र से
बचने के लिए अकबर की जन्म तिथि एवं नाम बदल दिए थे।
अरबी भाषा मे अकबर शब्द का अर्थ “महान” या बड़ा होता है।
अकबर का जन्म राजपूत शासक राणा अमरसाल के महल में हुआ था यह स्थान
वर्तमान पाकिस्तान के सिंध प्रांत में है।
खोये हुए राज्य को पुनः प्राप्त करने के लिये अकबर के पिता हुमायूँ के अनवरत
प्रयत्न अंततः सफल हुए और वह सन्‌ १५५५ में हिंदुस्तान पहुँच सका किंतु अगले
ही वर्ष सन्‌ १५५६ में राजधानी दिल्ली में उसकी मृत्यु हो गई और गुरदासपुर के
कलनौर नामक स्थान पर १४ वर्ष की आयु में अकबर का राजतिलक हुआ।
अकबर का संरक्षक बैरम (बेरहम) खान को नियुक्त किया गया जिसका प्रभाव उस
पर १५६० तक रहा।
तत्कालीन मुगल राज्य केवल काबुल से दिल्ली तक ही फैला हुआ था।
हेमु के नेतृत्व में अफगान सेना पुनः संगठित होकर उसके सम्मुख चुनौती बनकर
खड़ी थी।
सन्‌ १५६० में अकबर ने स्वयं सत्ता संभाल ली और अपने संरक्षक बैरम खां को
निकाल बाहर किया।
अब अकबर के अपने हाथों में सत्ता थी लेकिन अनेक कठिनाइयाँ भी थीं।
जैसे – शम्सुद्दीन अतका खान की हत्या पर उभरा जन आक्रोश (१५६३), उज़बेक
विद्रोह (१५६४-६५) और मिर्ज़ा भाइयों का विद्रोह (१५६६-६७) किंतु अकबर ने बड़ी
कुशलता से इन समस्याओं को हल कर लिया।
अपनी कल्पनाशीलता से उसने अपने सामंतों की संख्या बढ़ाई।
सन्‌ १५६२ में आमेर के शासक से उसने समझौता किया –
इस प्रकार राजपूत राजा भी उसकी ओर हो गये।
इसी प्रकार उसने ईरान से आने वालों को भी बड़ी सहायता दी।
भारतीय मुसलमानों को भी उसने अपने कुशल व्यवहार से अपनी ओर कर लिया।
"हिन्दुओं पर लगे जज़िया १५६२ में अकबर ने हटा दिया, किंतु १५७५ में वापस लगाना
पड़ा |
जज़िया कर गरीब हिन्दुओं को गरीबी से विवश होकर इस्लाम की शरण लेने के लिए
लगाया जाता था।
यह मुस्लिम लोगों पर नहीं लगाया जाता था।
इस कर के कारण बहुत सी गरीब हिन्दू जनसंख्या पर बोझ पड़ता था, जिससे विवश
हो कर वे इस्लाम कबूल कर लिया करते थे।"
अपने शासन के आरंभिक काल में ही अकबर यह समझ गया कि सूरी वंश को
समाप्त किए बिना वह चैन से शासन नहीं कर सकेगा।
इसलिए वह सूरी वंश के सबसे शक्तिशाली शासक सिकंदर शाह सूरी पर आक्रमण
करने पंजाब चल पड़ा।
दिल्ली का शासन उसने मुग़ल सेनापति तारदी बैग खान को सौंप दिया।
सिकंदर शाह सूरी अकबरके लिए बहुत बड़ा प्रतिरोध साबित नही हुआ।
कुछ प्रदेशो मे तो अकबर के पहुंचने से पहले ही उसकी सेना पीछे हट जाती थी।
अकबर की अनुपस्थिति मे हेमू विक्रमादित्य ने दिल्ली और आगरा पर आक्रमण कर
विजय प्राप्त की।
६ अक्तूबर १५५६ को हेमु ने स्वयं को भारत का महाराजा घोषित कर दिया।
इसी के साथ दिल्ली मे हिंदू राज्य की पुनः स्थापना हुई।
अकबर के लिए पानिपत का युद्ध निर्णायक था हारने का मतलब फिर से काबुल जाना !
जीतने का अर्थ हिंदुस्तान पर राज !
पराक्रमी हिन्दू राजा हेमू के खिलाफ इस युद्ध मे अकबर हार निश्चित थी लेकिन अंत मे
एक तीर हेमू की आँख मे आ घुसा और मस्तक को भेद गया |
"वह मूर्छित हो गया घायल हो कर और उसके हाथी महावत को लेकर जंगल मे भाग
गया !
सेना तितर बितर हो गयी और अकबर की सेना का सामना करने मे असमर्थ हो
गई !
हेमू को पकड़ कर लाया गया अकबर और उसके सरंक्षक बहराम खान के सामने
इंडिया के "सेकुलर और महान" अकबर ने लाचार और घायल मूर्छित हेमू की गर्दन
को काट दिया और उसका सिर काबुल भेज दिया प्रदर्शन के लिए उसका बाकी का शव
दिल्ली के एक दरवाजे पर लटका दिया उससे पहले घायल हेमू को मुल्लों ने तलवारों
से घोप दिया लहलुहान किया !"
इतना महान था मुग़ल बादशाह अकबर !
हेमू को मारकर दिल्ली पर पुनः अधिकार जमाने के बाद अकबर ने अपने राज्य का
विस्तार करना शुरू किया और मालवा को १५६२ में, गुजरात को १५७२ में, बंगाल को
१५७४ में, काबुल को १५८१ में, कश्मीर को १५८६ में और खानदेश को १६०१ में मुग़ल
साम्राज्य के अधीन कर लिया।
अकबर ने इन राज्यों में एक एक राज्यपाल नियुक्त किया।
अकबर जब अहमदाबाद आया था २ दिसंबर १५७३ को तो दो हज़ार (२,०००) विद्रोहियो
के सिर काटकर उससे पिरामिण्ड बनाए थे !
"जब किसी विद्रोही को दरबार मे लाया जाता था तब उसके सिर को काटकर उसमे
भूसा भरकर तेल सुगंधी लगा कर प्रदर्शनी लगाता था "अकबर महान" बंगाल के
विद्रोह मे ही अकेले उस महान अकबर ने करीब तीस हज़ार (३०,०००) लोगो को मौत
के घाट उतारा था !"
अकबर के दरबारी भगवनदास ने भी इन कुकृत्यों से तंग आकार स्वयं को ही छूरा-भोक
कर अत्महत्या कर ली थी |
चित्तौड़गढ़ के दुर्ग रक्षक सेनिकों के साथ जो यातनाएं और अत्याचार अकबर ने किए
वो तो सबसे बर्बर और क्रूरतापूर्ण थे |
२४ फरवरी, १५६८ को अकबर चित्तौड़ के दुर्ग मे प्रवेश किया उसने कत्लेआम और लूट
का आदेश दिया हमलावर पूरे दिन लूट और कत्लेआम करते रहे विध्वंस करते घूमते
रहे एक घायल गोविंद श्याम के मंदिर के निकट पड़ा था तो अकबर ने उसे हाथी से कुचला !
आठ हजार योद्धा राजपूतो के साथ दुर्ग मे चालीस हज़ार (४०,०००) किसान भी थे जो
देख रेख और मरम्मत के कार्य कर रहे थे !
कत्ले आम का आदेश तब तक नहीं लिया जब तक उसमे से तेतीस हज़ार (३३,०००)
लोगो को नहीं मारा , अकबर के हाथो से ना तो मंदिर बचे और ना ही मीनारें !
अकबर ने जितने युद्ध लड़े है उसमे उसने बीस लाख (२०,०००००) लोगो को मौत के
घाट उतारा !
अकबर यह नही चाहता था की मुग़ल साम्राज्य का केन्द्र दिल्ली जैसे दूरस्थ शहर में हो;
इसलिए उसने यह निर्णय लिया की मुग़ल राजधानी को फतेहपुर सीकरी ले जाया जाए
जो साम्राज्य के मध्य में थी।
कुछ ही समय के बाद अकबर को राजधानी फतेहपुर सीकरी से हटानी पड़ी।
कहा जाता है कि पानी की कमी इसका प्रमुख कारणथा।
फतेहपुर सीकरी के बाद अकबर ने एक चलित दरबार बनाया जो कि साम्राज्य भर में
घूमता रहता था इस प्रकार साम्राज्य के सभी कोनो पर उचित ध्यान देना सम्भव हुआ।
सन १५८५ में उत्तर पश्चिमी राज्य के सुचारू राज पालन के लिए अकबर ने लाहौर को
राजधानी बनाया।
अपनी मृत्यु के पूर्व अकबर ने सन १५९९ में वापस आगरा को राजधानी बनाया और
अंत तक यहीं से शासन संभाला ।
अब कुछ प्रश्न अकबर की महानता के सम्बन्ध में विचारणीय हैं, जो किसी भी विचारशील व्यक्ति को यही कहने पर विवश कर देंगे कि...कौन कहता है –
अकबर महान था ????
(१.)यदि अगर अकबर से सभी प्रेम करते थे, आदर की दृष्टि से देखते थे तो इस प्रकार शीघ्रतापूर्वक बिना किसी उत्सव के उसे मृत्यु के तुरंत बाद क्यों दफनाया गया ?
(२.)जब अकबर अधिक पीता नहीं था तो उसे शराब पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता
क्यों पड़ी ?
(३.)आखिर अकबर को इतिहास महान क्यों कहता है, जिसने हिन्दू नगरों को नष्ट
किया ?
(४.)अगर फतेहपुरसीकरी का निर्माण अकबर ने कराया तो इस नाम का उल्लेख
अकबर के पहले के इतिहासों में कैसे है ?
(५.)क्या अकबर जैसा शराबी, हिंसक, कामुक, साम्राज्यवादी बादशाह खुदा की बराबरी
रखता है ?
(६.)क्या जानवरों को भी मुस्लिम बना देने वाला ऐसा धर्मांध अकबर महान है ?
(७.)क्या ऐसा अनपढ़ एवं मूर्खो जैसी बात करने वाला अकबर महान है ?
(८.)क्या अत्याचारी, लूट-खसोट करने वाला, जनता को लुटने वाला अकबर महान था ?
(९.)क्या ऐसा कामुक एवं पतित बादशाह अकबर महान है !
(१०.)क्या अपने पालनकर्ता बैरम खान को मरकर उसकी विधवा से विवाह कर लेने
वाला अकबर महान था |
(११.)क्या औरत को अपनी कामवासना और हवस को शांत करने वाली वस्तुमात्र समझने
वाला अकबर महान था |
अकबर औरतो के लिबास मे मीना बाज़ार जाता था |
मीना बाज़ार मे जो औरत अकबर को पसंद आ जाती,उसके महान फौजी उस औरत को
उठा ले जाते और कामी अकबर के लिए हरम मे पटक देते |
ऐसे ही ना जाने कितने प्रश्नचिन्ह अकबर की महानता के सन्दर्भ में हैं....,
जयति पुण्य सनातन संस्कृति ,,जयति पुण्य भूमि भारत....
सदा सुमंगल,,वंदेमातरम..
जो इराक देश आज हालात देख रहा हे उससे भयानक दृश्य भारत ने 700 साल पहले देखा था।
हम भले ही भूल जाए पर 700 साल पूर्व जो बर्बरता हमारे पूर्वजो से झेली वो कम
नहीं थी :
1) मीर कसिम ने सिंध में रात को धोखे से घुस कर
एक रात में 50000 से ज्यादा हिन्दुओ का कत्ले
आम कर सिंध पर कब्ज़ा किया।
2) सोमनाथ मंदिर के अन्दर मोजूद 32500
ब्रह्मिनो के खून से मुहम्मद गजनवी ने परिसर
को नहला दिया था।
3) सोमनाथ में लगी भगवान्
की मूर्तियों को मुहम्मद गजनवी ने अपने दरबार
और शोचालय के सीढियों में
लगवा दिया था ताकि वो रोज उनके पैर नीचे
आती रहे।
4) औरंगजेब के इस्लाम काबुल करवाने के खुले
आदेश के बाद सबसे ज्यादा तबाही आई। कुछ
को जबरदस्ती से मुस्लिम बनवाया गया जो आज
त्यागी, राठोड, चौधरी, जट, राजावत, भाटी,
मोह्यल नाम लगाकर घूम रहे हे।
5) औरंगजेब ने ब्रह्मिनो द्वारा इस्लाम कबूल
ना करने पर उन्ह्र गर्म पानी में उकाल कर
जिन्दा चमड़ी उतरवाने का फरमान
जारी किया। ब्रह्मिनो की शिखाए और जनेउ
जलाकर औरंगजेब ने अपने नहाने का पानी गर्म
किया।
6) मुहम्मद जलालुदीन ने हर हिन्दू राज्य जीतने पर
वहा की लडकियों को उठवा दिया और
मीना बाजार और हरम में पंहुचा दी जाती हे।
7) अजयमेरु का सोमेश्वर नाथ शिव मंदिर तोड़कर
अजमेर दरगाह खड़ी की गयी साथ ही वैष्णव
मंदिर तोड़ ढाई दिन का झोपड़ा तयार
किया गया। इनका सबूत हे
वहा लगी कलाकृतिया जिसपर हिन्दू
देवी देवता स्वस्तिक आदि बने हुए हे।
8) अलाउदीन खिलजी की सेना से धरम और कुल
की रक्षा करने के लिए चित्तौड़
की रानी पद्मिनी और 26000 राजपूत
वीरंगानो ने अग्नि कुंद में कुदकर जोहर
प्रथा निभाई।
9) बहादुर शाह जफ़र की चित्तौड़ पर आक्रमण
के बाद फिर मुघ्लो से धरम और स्वभिमन रक्षा के
लिए चितौड़ की रानी कर्णावती ने 18000
राजपूत स्त्रियों के साथ अग्निकुंड में कूद जोहर
करना चाहा पर लकड़ी कम पड़ने के कारन बारूद
के ढेर के साथ वीरांगनाओ ने खुद
को उड़ा दिया।
10) मुहम्मद जलालुदीन के आक्रमण पर चित्तौड़ में
फिर महारानी जयमल मेड़तिया ने 12000
राजपूत स्त्रियों के साथ अग्निकुंद में कूद जोहर
किया।
एक समय था अरब के पर्शिया से लेकर
इंडोनेशिया तक हिन्दू धरम अनुयायी थी कितने
करोड़ लाखो की लाशे बिछा दी गयी,
कितनी ही स्त्रियों ने बलिदान दिए, कितने
लाखो मन्दिर टूटे, कितने तरह के जुल्म हए तब
कही आज हम हिन्दू हुए हे।
अपने इतिहास को भूलनेवाल एक सफल भविष्य
नहीं बना सकते।
जय जय श्री राम

Sunday, June 15, 2014

६ मिल्यन का जुठ

July 8, 2013 at 7:51am
कभी किसीने सर्वे कराया है इन्सान कितना जुठ बर्दाश्त कर सकता है या आदमी के मुह से कितने जुठ बाहर निकलते हैं । नहि ना ! और सर्वे होगा भी नही । मार डाला ! मर गये । हमे कोइ बचा लो । इस तरह का जुठा रोना और अपना फायदा उठा लेना और दूसरी पजा को पीडा देना । हम जानते हैं ऐसी प्रजाओं को । ऐसी ही एक प्रजा है जो जुठका खजाना है और बाकी प्रजा ये जुठ आसानी से पचा लेती है । और इतना पचा लेती है की अगर कोइ कहे की ये जुठ है तो उसे ही जुठा साबित करने तुल जाती हैं । उस प्रजा और उस के जुठ का थोडा परिचय इधर से मिल जायेगा लेकिन मै हिन्हीमें परिचय करवाउंगा ।

http://winstonsmithministryoftruth.blogspot.in/2012/02/145-references-to-6000000-jews-prior-to.html

अगर कोइ डीपमें जाना चाहे तो एक पुस्तक है । लेखक Don Heddesheimer की किताब “The First Holocaust Jewish Fund Raising Campaigns with Holocaust Claims During and After World War One”.

http://www.vho.org/GB/Books/tfh/

बूक का नाम बहुत लंबा है क्यों की जुठ भी बहुत बडा और लंबे अरसे से चला आया है । सारी साजिश, उनका एजन्डा, दुनिया को उल्लु बना के कैसे लाभ पाया जाता है वो सब बताया गया है । १९वी सदी से युरोपियन यहुदीयों की यातनाओं का जो दावा किया जाता रहा है, तारीख वाइज प्रेस की क्लिप्स, प्रोपेगेन्डा आर्टीकल्स का एक अद्भूत कलेक्शन है । ऐसे आर्टिकल्स में हम देख सकते हैं की दुसरे विश्व यध्ध से पहले भी बार बार एक जादुई आंक ६०००००० का जिकर होता रहता है । सिक्स मिल्यन ज्यु मर गये या मरने जा रहे है । भूख से मर रहे सिक्स मिल्यन ज्यु के किये इतने करोड डोलर दो । जैसे बच्चों का रोना कुछ पाने के लिए, ढोंग । १९३३ में हिटलर सत्तामें आया ईस के कई साल पहले दुनिया की सहानूभूति पाने के लिए, सरकारी औए बिन सरकारी संस्थाओं से धन जुटाने के लिए और अपने राजकिय एजन्डा पूरा करने के लिए, जीसमे इजराईल का गठन भी शामिल था, इस साजीश को पैदा कर दिया था ।

चालाकी भरा सुत्र “6000000 dead or dying Iews” जो काल-खंड १९३९-१९४५ को ही फोकस करता है वो तो हिटलर बच्चा था तब से चला आ रहा था । वो भविष्यवेत्ता जरूर है, सदियों पहले जान लिया था की सारी पृथ्वि पर राज हमें करना है, वो सच भी हो गया लेकिन एक बच्चा बडा होकर ६०००००० यहुदियों को मार देगा वो सच नही हुआ । इसे सच साबित करने के लिए अंत हीन बहस चलाई, मिडिया अपना, होलिवुड अपना इतिहासकार अपने, लेखकों को खरीद लिए । फिल्म, टीवी, डोक्युमेन्टरी, बूक्स और आर्टिकलों की मार चलाई । स्कूलों में पढाया । पूरी दुनिया का ब्रेइन वोश कर दिया । बहुत सिधी बात थी, बिन-यहुदी जगत को अनजाने भय से पेरेलाईज कर दो जीस से यहुदियो की आर्थिक विचार धारा थोपते समय आर्थिक और शारीरिक रूप से गुलाम बन जाये । साथ मे सहानूभूति की लहर से यहुदियों के विरोधियो का मुह बंद भी करवा दिया । इजराईल की अपनी मांग के लिए सपोर्टर भी खडे कर लिए ।

अपने जुठे मानव संहार की बातों से युरोप के बच्चों में जर्मन प्रजा के प्रति नफरत फैला दी, यहां तक की ब्रिटन की महारानी को अपना मूल जर्मन नाम बदल कर ब्रिटिश नाम अपनाना पडा । ये बच्चे इस जुठ के अलावा कुछ नही जानते थे, ना कोइ रास्ता था, आंखें बंद कर के इसे मानते हुए ही बडे हो गए । वर्ल्ड वोर २ और जियोनिस्ट होलोकोस्ट की कहानी पढा कर जनता का दिमाग घुमा दिया, हमेशा के लिए दूसरी प्रजा की सहानूभूति पा ली । जनता को अब उनके जियोनिजम और कोम्युनिजम में –नापाक, विध्वंसक, हानिकारक और गुनाह शब्द नही दिखते ।
एक सवाल मन मे उठता है ये ये “ सिक्स मिल्यन” का आंकडा क्या बला है और कहां से आया ? 1890 से 1945 तक, उनके क्रुर प्रोपेगेन्डा मे कट्टरता पूर्ण तरिके से ६०००००० का आंकडा बताया गया है तो उसका महत्व और उस का मूल कहीं होना चाहिए । वर्ल्ड वोर-२ १९४५ में खतम हो गया तब से लेकर आजतक ये गुढ रहस्यमय आंकडा एक खास स्टेटस बन हुआ है । इस के लिए समाचार, मनोरंजन मिडिया और ज्युयिश हॉलीवूड ( http://www.latimes.com/news/opinion/commentary/la-oe-stein19-2008dec19,0,4676183.column ) ने सतत भ्रामक होलोहॉक्स अभियान चलाया । मास मर्डरर यहुदी, वलादीमिर लेनीनने कहा था “ जुठ को रीपीट करो सच हो जायेगा ” इस अभियान को साल दर साल तिव्र बनाया गया । जब जब यहुदियों को भनक लगी की जनता मे उनके मानवता विरोधी ग्लोबल क्राईम के बारेमें जागरूकता आ रही है तो बडे जोर शोर से मिडिया के ऑक्टोपसी अंगों द्वारा अभियान चलाया । मिडिया के कंट्रोल का फायदा ये मिला की पब्लिक ओपिन्यन हमेशा उन के पक्षमें बना रहा ।

वर्ल्ड लिडर्स, राष्ट्रों के प्रमुख, प्रधान मंत्री, राजाओं और रानीयां, सभी धर्मों के धर्म नेता, ६०००००० ज्यु के पौराणिक आंकडे के सामने घुटने टेक गये । नाजी गेस चेम्बर्स की बातों मे आ गये जब की ऐसे गॅस चेम्बर्स कभी नही थे और संभव भी नही थे ।

http://winstonsmithministryoftruth.blogspot.in/2011/12/no-real-evidence-for-gas-chambers.html?zx=224029154edd64b1

http://vho.org/Intro/GB/Flyer.pdf

http://www.nazigassings.com/

http://winstonsmithministryoftruth.blogspot.in/
http://www.zundelsite.org/antiprop/plaques/the_six_million_numbers_game.html

खोज यह बताती है की ६०००००० के आंकडे का संबन्ध टोराह में लिखी एक विचित्र धार्मिक भविष्यवाणी के साथ है । सोर्सीस बताते हैं की यहुदी पेलेस्टाईन पर अपना दावा करे इस से पहले ६०००००० यहुदियों को अपने जीवन की आहुति देनी होगी, तब जाकर उनके खून के प्यासे देवता खूश होंगे ।

http://winstonsmithministryoftruth.blogspot.in/2010/06/kabbalah-gematria-jewish-magic_228.html?zx=f822eafba068e6ff

http://www.zundelsite.org/harwood/didsix00.html

टोराह में पेलेस्टाईन वापस आने के बारे में हिब्रु में लिखा है “आप को वापस आना है ( टाशुवु ) । हिब्रुमें आंकडे नही है । टाशुवु अधुरा अर्थ है “वेइ” जोडने से पूरा वाक्य होता है । वेइ = ६ होता है । सिक्स मिल्यन का खेल यहां से शुरु होता है । वेइ की आहुति देनी है । अगर इजराईल पाना है तो जगतमें जीतने भी यहुदी है उनमे से सिक्क्स मिल्यन (वेइ) माईनस होकर इजराईलमें आना है ये टोराह की प्राथमिक जरूरियात थी ।
दूसरे विश्वयुध्ध के अंत में सिक्स मिल्यियन यहुदियों का जुठा रोना रोकर यहुदी आतंकवाद और सेना के बल पर पेलेस्टिन के गांव के गांव खाली कर लिए और १९४८ में इजराईल की रचना करदी ।

http://guardian.150m.com/palestine/destroyed-towns.htm

http://guardian.150m.com/palestine/jewish-terrorism.htm

आज की तारिखमें इस नकली होलोकोस्ट के धंधे को इतनी पवित्रता मिल गई है की युरोप के एक डजन जीतने देशों में कानून बनाये गये हैं की ईसे कोई नकली कहे या नकली साबीत करने की कोशीश करे उसे भारी डंड या सखत जेल की सजा मिलती है ।( http://en.wikipedia.org/wiki/Laws_against_Holocaust_denial ) जबरदस्ती आपको मानना है की हिटलरने इन “गोड चुजन पिपल” यहुदीयों को मारा था ।

सन १९०० से धन की भीक और पेलेस्टिन की मांग के लिए ६०००००० के आंकडे का उपयोग होता रहा है । समाचारों की क्लिपिन्ग्स और आर्टिकल्स में देखा जा सकता है । १९०० एक अमेरिकन यहुदी नेता रबी स्टेफन एस. वाएज कहता है “ There are 6000000 living, bleeding, suffering, arguments in favor of Zionism.” न्यु योर्क टाईम्स जुन ११ १९००.



१९०२ मे छपी ऍन्सायक्लोपिडिया ब्रिटानिका में ऍन्टि-सेमिटिजम की व्याख्यामें सिक्स मिल्यियन यहुदी का जिक्र किया है ।



१९०५ मे एक यहुदी उपदेशक ने कहा था अगर साम्यवादी यहुदी रसियन गवर्नमेंट को उखाड फैंकने के लिए विद्रोह करेंगे तो जिओनिजम ही खतम हो जायेगा ।



१९०६ में रसिया पर आरोप लगाया की रसियाने ६०००००० यहुदियों को योजनाबध्ध तरिके से मारने का प्लान बनाया है ।



ये वोही साल था जीस सालमें कोम्युनिस्ट यहुदियों का रसियन सरकार विरुध्ध पहला विद्रोह नाकाम रहा था । रसिया को बदनाम कर के बाकी देशों की सहानूभूति पाने का खेल था ।

http://winstonsmithministryoftruth.blogspot.in/2011/07/jews-committing-massacres-in-russia.html

१९०८ में यहुदियों ने ओट्टामान एम्पायर (टर्की) जीत लिया और सुल्तान से पावर छीन लिया ।

http://www.realjewnews.com/?p=95

१९१० मे अमरिकन ज्यु कमीटी के सालाना रिपोर्ट में दावा किया गया की १८९० से रसियाने सिक्स मिल्यन ज्यु को देश निकाला या मारने की पोलिसी बना रख्खी है ।



१९११ वर्ल्ड जियोनिस्ट ओर्गेनाईजेशन का सह स्थापक मॅक्स नोर्डाउ और थियोडोर हर्जल ने जियोनिस्ट कोंग्रेस की स्विट्ज्रलेंड की मिटिन्ग में आश्चर्य जनक बात कही । 6000000 ज्यु का सत्यानाश होनेवाला है । हिटलर के आने से २२ साल पहले और प्रथम विश्व युध्ध शुरु होने से ३ साल पहले का समय ।
१९१४ प्रथम विश्वयुध्ध के दौरान ६०००००० ज्यु के लिए मदद की बुहार लगाई ।



१९१५ पहला विश्व युध्ध । यहुदी लिडर लुई मार्शलने कहा “ आज दुनियामें १३०००००० ज्यु है उनमें से ६०००००० से ज्यादा यहुदी वोर जोन में जी रहे हैं ।

इस विश्व युध्ध के समय युवा हिटलर सैनिक था । वो यहुदी कमांडर के निचे काम कर रहा था । वो सारा खेल देख रहा था । जर्मनी जीतने की कगार पर ही था की युध्ध विराम हो गया । हिटलरने देखा की जर्मन सेना को अडचन मे डालने के लिए साम्यवादी यहुदियोंने हथियार बनानेवाली फेक्टरियों में चलते हुए युध्ध के समय हडताल करवाई थी ।
१९१७ बोल्शेविक क्रान्ति से रसिया में प्रथम यहुदी राज की स्थापना कर दी । जार निकोलस द्वितिय को पत्नि और बच्चों के साथ मार दिया ।

http://www.youtube.com/watch?v=tdrCtIL-nQs

http://www.cephas-library.com/israel/israel_communism_was_jewish.html

क्रन्ति का लिडर लिओन ट्रोट्स्की था । मर गये, मार दिया करते करते ढोंगी यहुदियों ने अमरिकी माफिया यहुदी बेंकर्स जेकोब स्चीफ, मॅक्स वोर्बर्ग और रोथ्चिल्ड की मदद से रसिया पर कबजा कर लिया । उस क्रान्ति और साम्यवादी यहुदी राज में चालिस मिल्यन रशियन इसाई तथा पूर्विय अन्य जातियों  का कत्ल सामुहिक फांसी या मानव निर्मित अकाल से होनेवाला था उस की शुरुआत हो गई और आगे के दशकों में हो गया ।  अनेक चर्च को गिरा दिये । इन सब की जिम्मेसार ये पूरी यहुदियों की गेंग थी ।



http://incogman.net/2010/04/the-jew-commies-natural%C2%A0born%C2%A0killers/

१९१८ बुहार लगाई सिक्स मिल्यन आत्माओं को एक बिल्यन डोलर की जरूरत है ।



ब्रिटनने पेलेस्टिन पर कबजा किया

http://en.wikipedia.org/wiki/British_Mandate_for_Palestine

उसी साल यहुदियोंने एक करोड रसियनों को मारने की घोषणा कर दी ।

http://winstonsmithministryoftruth.blogspot.in/2011/07/1918-jew-announces-plan-to-kill.html

१९१९ विश्व युध्ध १ खतम होने के तुरंत बाद ६०००००० मिल्यन ज्यु के कत्लेआम की बात चलाई । विश्व की जनता का ध्यान रसियामे किये इसाइयों के कत्लेआम से हटाना था, अमरिका में रेड इन्डियनों के कल्तेआम से हटाना था । और धन जुटानेका अभियान भी चलाना था ।

१९२० मे फंड इकट्ठा करने के लिए ऍड आई । आज ६०००००० ज्यु, इतिहासमे कभी नही देखे ऐसे काले दिनो का सामना कर रहे हैं…. १९२१ देश भक्त रसियनो की आवाज दबाने के लिए फिर से ६०००००० का शस्त्र उठाया । रसिया जीतने के बाद भी बेशर्म यहुदियोंने ६०००००० यहुदियों को बचाने के लिए अमरिका से मदद मांगी ।

http://www.revisionisthistory.org/communist.html



१९२२ यहुदी नेता नहुम सोकोलो ने अपनी ग्लोबल महत्वकांक्षा जताते हुए कार्ल्स्बेड केलिफोर्निया मे एक यहुदी सम्मेलनमे घोषणा की “लीग ओफ नेशन्स यहुदियों का विचार है और एक दिन जेरुस्लेम शान्ति की राजधानी बनेगा । “



1931
http://www.realzionistnews.com/?p=160



http://www.infoukes.com/history/famine/gregorovich/

1932 यहुदियों ने रसिया में जानबूज कर मानव संहार किया । राष्ट्रवादी प्रतिरोध को दबाने के लिए और अपनी साम्यवादी नीतिया लागू करने के लिए यहुदी तानाशाह जोसेफ स्टालिन ने यहुदियों की बनी खुफिया पोलिस मुखियों ( केगानोविच,बेरिया, यागोदा, आदी) को बेरहमी से जानलेवा भूखमरी पैदा करने वाली नीतियो पर काम करने लगा दिया । उन के ये असली मानव संहार में ६ से ७ मिल्यन युक्रेनी पुरुष, स्त्री और बच्चे मारे गये । इस मानव संहार को रसियामें “होलोदोमोर” कहा जाता है । मारे जा रहे थे रसियन और रोये जा रहे थे दोगले यहुदी । ( समजमें आ गया होगा की भारत के साम्यवादी और मिडिया इन दोगलों के मानस पुत्र हैं । उन की सुई एक जगह पर ही अटक जाती है न्याय या नैतिकता से कोइ सरोकार नही । )



1933  हिटलरने जर्मनी की सत्ता संभाली ।  रोथ्स्चिल्ड और वोर बर्ग की प्रथापित युरोपिय बेन्किन्ग सिस्टम ( देशों को पैसे उधार देकर गुलाम बनाया जाता है ।), जो सुदखोरी पर पनपती थी उस मौत के फंदे की पकड को छुडाने के लिए हिटलरने तुरंत ही राज्य नियंत्रित करंसी छापने लगा । जीन पदों या धन्धे के कारण यहुदी हावी हो जाते थे उन तमाम जगह से यहुदियों को हटाया गया । सरकारी पद छीन लिए, मिडिया और शिक्षाक्षेत्र से हटाया गया ।

इसी वजह से दुनिया के यहुदियों ने जर्मनी पर १९३३ में युध्ध घोषित कर दिया । हिटलर की नयी सरकार को गीराने के लिए दुनिया भर के यहुदियोंने जर्मनी की अर्थववस्था का मृत्यु घंट बजाने के लिए उस के मालसामान और व्यापार का बहिष्कार किया ।


यहुदियों की इस कपट लीला से जर्मनी में यहुदियों के लिए नफरत की लहर उठी, यहुदी और जर्मनी की और प्रजा के बीच तनाव बढा ।
यह कपट और बोल्शेविक क्रन्ति मे इन यहुदियों की भागीदारी को ध्यानमें रखकर दुसरे महा युध्ध में नाजीयों ने यहुदियों को “राज्य के शत्रु” घोषित कर दिये और मजदूर केंपों में और अस्थायी जेलनूमा केंपों में डाल दिये । जैसे अमरिकाने पर्ल हार्बर के बाद जापानियों को मजदूर केंपों में डाल दिये थे । हालां की जापानियों ने अमरिका पर कभी भी आर्थिक युध्ध नही छेडा था ।

१९३६

http://winstonsmithministryoftruth.blogspot.in/2011/02/6000000-figure-of-jews-from-1936.html

http://winstonsmithministryoftruth.blogspot.in/2011/05/more-zionist-plans-for-final-solution.html?zx=3e8d26999a7de9ec



यहुदियों ने पेलेस्टीन आंदोलन जारी रख्खा । न्यु योर्क टाइम्स की रिपोर्ट कहती है की इन लोगोंने अमरिकन इसाई नेता , इसाई ओर्गेनाजेशन, ब्रिटिश सरकार में यहुदियों को युरोपिय मानव संहार से बचा कर पेलेस्टाइन में यहुदी राष्ट्र बनाने के लिए बेतहाशा लोबीन्ग शुरु की है । ये उंची भविष्यवाणियां जर्मने में कोन्सन्ट्रेशन केंप बने इस के पहले एक साल और हिटलरने पोलेन्ड पर आक्रमण किया उस से तीन साल पहले की थी ।

1939  ब्रिटन की शह में आकर पोलेन्डने हिटलर की सरहद से जुडी वाजिब और मामूली मांग को ठुकरा दिया । हिटलर जमीन और खास कर डेन्जेन्ग शहर की मांग कर रहा था जो असलमें जर्मनी के थे और पोलेन्ड को दे दिए थे पहले महा युध्ध के अंतमें । हिटलर की एक और मांग थी जर्मनी और प्रुसिया के बीच एक कोरिडोर ।



सप्टेम्बरमें पोलेन्ड पर दो साईड से हमला हुआ । पस्चिम से हिटलरने और पूर्व से रसियाने हमला किया । फ्रान्स और ब्रिटनने तुरंत ही जर्मनी से युध्ध घोषित कर दिया कारण जर्मनी का पोलेन्ड पर हमला था । हमला तो रसियाने भी किया था लेकिन युध्ध रसिया से नही करना था । कुछ महिने बाद रसियाने फिन्लेन्ड पर भी आक्रमण कर दिया । (  http://en.wikipedia.org/wiki/Winter_War  ) फिर भी इन साथी देशों को जर्मनी का ही दोष देखना था, रसिया १९१७ से यहुदियों के हाथमे था ।  महा युध्ध दुसरे का मकसद पोलेन्ड को आजाद कराना नही था लेकिन जर्मनी का विनाश था जीसने यहुदियों की पकड को ढिला कर दिया था । साथी देशोंने पहले तो पोलेन्ड की संप्रभुता का कारण दिया लेकिन बाद में पूर्विय देशों की तरह पोलेन्ड को भी रसियन कोम्युनिस्ट यहुदी कसायों के हवाले कर दिया ।

१९४१  थियोडोर न्युमेन नाम के अमरिकी यहुदी ने अपने किताब “जर्मनी मस्ट पेरिश” में  लिखा सभी जर्मन नागरिकों की जबरन नसबंदी करनी चाहिये । यहुदियो को सलाह दी गई की जर्मनो की हत्या करो । उस किताब की यहुदी पकाशकों ने तारीफ की ।

http://www.ihr.org/books/kaufman/perish.html

१९४२ ब्रिटिश यहुदी विक्टर गोलान्ज ने आगाही की की सिक्स मिल्यन ज्यु मरनेवाले हैं ।



1943 एक यहुदियों के संगठन अमेरिकन ज्यु कमीटी ने दावा किया की नाजिओंने ६०००००० यहुदिओं को मारने का प्लान पक्का कर लिया है । अगर यहुदियो को मारना होता तो जीतने हथ्थे चडे सब को नही मार देते ? क्यों ६०००००० मिल्यन के गीन कर मारते ?



http://katyn.org.au/naziphotos.html

जब नाजी आक्रमण के दौरान पूर्वि मोर्चे पर थे तो जर्मन सैनिकों ने केटिन के जंगल में एक सामुहिक कब्र देखी जीस में २२००० पोलिश सैनिक अधिकारियों की लाशें थीं जीसे सोवियेत ने १९४० में कतल कर दिये थे । कपटी मित्र देशों को अपने “विर सहयोगी सोवियेत” के कारस्तान का पता था लेकिन इस बारे में चुप रहे । जब जनता से छुपाना मुश्किल हो गया तो इस क्रुरता का दोष जर्मनी पर डालने की कोशीश की ।

1944   सप्टेम्बर १९४४ , दुसरे महायुध्ध के खतम होने से आठ महिने पहले, यु.एस.कोम्युनिस्ट (यहुदी) युनियन लिडरों ने आगे से भविष्य के समाचार दे दिये की सिक्स मिल्यन यहुदियों का कत्लेआम हो गया, कोइ लाशें गीने उस बात की परवाह भी नही की ।

http://winstonsmithministryoftruth.blogspot.in/2011/05/oct-1944-commie-us-union-leaders-jews.html?zx=abd6263ed0465463

१९४४ के आखरी दिनों, लडाई खतम होने से आधे साल पहले, कम से कम तीन अखबार ने सिक्स मिल्यन ज्यु वाला पौरानिक आंकडा बता दिया । ये सभी प्रोपेगेन्डा आर्टिकल रसिया में रहे ल्या एह्रेन्बर्ग नाम के प्रोपेगेन्डिस्ट की जुठी बातों पर आधारित थे ।



न्यु योर्क टाइम्स का रिपोर्ट है की यहुदी ग्रूप्स ब्रिटन और अमेरिकन सरकार से विनति कर रहे हैं की जर्मनी पर गेस अटेक करो ।

http://select.nytimes.com/gst/abstract.html?res=F10B12FD3A55157B93C2AB178CD85F408485F9&scp=1&sq=jewish%20rally%20gas%20attacks&st=cse

१९४५  अभी युध्द कुछ महिने के लिए चलना था, कोइ ओफिश्यल बोडी काउंट हुआ नही कीसी भी जाति का और इन यहुदियों ने परफेक्ट सिक्स मिल्यन के आंकडे का रोना शुरु कर दिआ ।

सोविएत का कुख्यात यहुदी प्रोपेगेन्डिस्ट, ल्या एह्रेन्बर्ग, जो इस नर संहार के विरुध्ध आंदोलन कर रहा था,  ने रसियन रेड आर्मी को को उकसाया की वो जर्मन महिलाओं का सामुहिक बलात्कार करे । कोइ लाशे गीने इस से पहले ही इसे मालुम हो गया की सिक्स मिल्यन यहुदी खतम !

http://rense.com/general75/ehr.htm
http://library.flawlesslogic.com/massrape.htm

१९४५ के कुछ पेपर कटिम्ग, सिक्स मिल्यन का चौकस आंकडा ही बताते हैं । ओफिश्यल बोडी काउंट की राह नही देखी ।



मे १९४५, न्युयोर्क टाईम्सने खबर दी की ६०००००० कैदीयों को नाजियों के ओन्सेन्ट्रेशन केंपों से छुडा लिया गया है ।



छुपी हुई फॅक्टरियां भी मिली । याने नाजियों ने उनको मारा नही था । एक्टरियों मे मजदूरी करवाई थी ।

http://www.zioncrimefactory.com/wp-content/uploads/2011/10/six-million-liberated-fullarticle.jpg

इस समाचार के बाद यहुदियों की पोल खुल गई । इस समाचार को रोक दिया और किलिन्ग के जुठे समाचार को भी रोक दिया । ४-५ महीना कोइ समाचार ही नही । उन दिनों में पूरी तैयारा की गई जुठी बातों को सच साबित कर ने के लिए जुठे एविडन्स, जुठे गवाह और होलिवूड को भी नकली फिल्में बानाने का समय दिया गया ।

जर्मनी की हार से हिटलरने आत्महत्या कर ली । जीतने वाले देशों ने जर्मनी के दो हिस्से बना दिये । पूर्व और पस्चिम जर्मनी । पूर्वि जर्मनी में तो साम्यवादी यहुदी सिधे आ गये सत्ता संभालने के लिए । देश को साम्यवादी देश बना दिया । पस्चिम जर्मनी में लोकशाही बनी रही लेकिन पहले की तरह यहुदियो के प्यादे सत्तामें आ गये ।

1946  कुछ महिनो बाद यहुदी फिर से “सिक्स मिल्यन ज्यु” के जुठे आंकडे को सच बताने, सच साबित करने आ गये ।  यहुदियों को कोइ पूछनेवाला नही रहा । अपने सारे ऑकोपसी साधनों द्वारा हिटलर को कातिल साबित कर दिया और जगत की जनता को जुठा इतिहास पढा दिया ।

इसी दौरान ही यहुदी आतंकवादियों ने पेलेस्टाईन में आरबों का भयानक कत्लेआम शुरु कर दिया ।

http://guardian.150m.com/palestine/jewish-terrorism.htm

http://www.deiryassin.org/

१९४५ से लेकर १९९० तक दुनिया के नागरिकों की आंखें बंद रही । दुनियाको सच मालुम हो जाने पर,  १९९० में, मानो होलोकोस्ट  एक धंधा हो और कोइ भावताल करना हो ऐसे ही आलग अलग संस्थायें होलोकोस्ट के मृत्यु के आंक घटाने लगी । मानो ६०००००० तो बहुत ज्यादा भाव था । आज आंकडा बहुत निचे आ गया है । और उनमे भी यहुदी प्रजा बहुत कम है । लोग मरे वो युध्ध के कारण मरे थे । हिटलरने जानबूज कर कभी नही मारे थे ।



--------------------------------सोर्स------------
https://bharodiya.wordpress.com/2013/05/22/%E0%A5%AC-%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%A8-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%A0/